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Ved Puran Upnishads kitne hote hai : आईये जाने

Ved Puran Upnishads kitne hote hai : ved प्राचीन भारतीय धर्म, संस्कृति, और ज्ञान के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण ग्रंथ माने जाते हैं। इन्हें ‘श्रुति’ ग्रंथ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “जो सुना गया है”। वेदों को मानवता का सबसे पुराना साहित्य माना जाता है और इनमें प्राचीन ऋषियों द्वारा किए गए आध्यात्मिक, दार्शनिक, और वैज्ञानिक चिंतन का संग्रह है। वेदों को चार भागों में विभाजित किया गया है:

Ved Puran Upnishads kitne hote hai : आईये जाने

Ved kitne hote hai: आईये जाने

Ved Puran Upnishads kitne hote hai

1. ऋग्वेद

यह सबसे प्राचीन और पहला Ved माना जाता है। इसमें कुल 10 मंडल (अध्याय) और 1028 सूक्त (स्तुति गीत) हैं। ऋग्वेद में मुख्य रूप से देवताओं की स्तुति की गई है, जैसे इंद्र, अग्नि, वरुण आदि। इसे काव्यात्मक रूप में लिखा गया है और यह प्राचीन भारत के समाज, संस्कृति, और प्रकृति के प्रति आस्था को दर्शाता है।

2. सामवेद

सामवेद मुख्य रूप से संगीत और भक्ति पर आधारित है। इसके अधिकांश मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए हैं, लेकिन इन्हें संगीतबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इस वेद में देवताओं के स्तुतिगान को संगीत के माध्यम से गाया जाता था। सामवेद को भारतीय संगीत का आधार माना जाता है, क्योंकि इसके मंत्रों का उच्चारण संगीत के सात सुरों के अनुसार होता है।

3. यजुर्वेद

यजुर्वेद मुख्य रूप से यज्ञों और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग होने वाले मंत्रों का संग्रह है। इसमें यज्ञ की प्रक्रिया, विधि-विधान और अनुष्ठान के नियम दिए गए हैं। यजुर्वेद में गद्य और पद्य दोनों का मिश्रण है और इसे दो भागों में बाँटा गया है: शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद। इसमें विशेषकर यज्ञों के दौरान बोले जाने वाले मंत्र और अनुष्ठान का विस्तार से वर्णन है।

4. अथर्ववेद

अथर्ववेद अन्य तीनों वेदों से थोड़ा अलग है क्योंकि इसमें दैनिक जीवन से जुड़े विषयों पर अधिक ध्यान दिया गया है। इसमें तंत्र-मंत्र, औषधि, आयुर्वेद, ज्योतिष और समाज की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए उपाय शामिल हैं। यह वेद प्राचीन समाज के वैज्ञानिक और चिकित्सीय ज्ञान का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। इसमें न केवल आध्यात्मिक बल्कि भौतिक समस्याओं का भी समाधान दिया गया है।

Upnishads kitne hote hai : आईये जाने

Ved Puran Upnishads kitne hote hai

उपनिषदों की कुल संख्या लगभग 108 मानी जाती है, लेकिन इनमें से 10-13 मुख्य माने जाते हैं जिन्हें आदि शंकराचार्य ने भाष्य के माध्यम से लोकप्रिय बनाया। उपनिषद वेदों के दार्शनिक और आध्यात्मिक पहलुओं का विस्तार करते हैं।

  • मुख्य उपनिषद: ईशोपनिषद, कठोपनिषद, केनोपनिषद, मुण्डकोपनिषद, माण्डूक्य उपनिषद आदि।
  • विषय-वस्तु: ब्रह्म (परम सत्य), आत्मा (आत्मज्ञान), और मोक्ष के बारे में गहन ज्ञान। इन उपनिषदों में कई प्रसिद्ध संवाद हैं, जैसे नचिकेता और यमराज का संवाद कठोपनिषद में, जो आत्मा और मोक्ष का वर्णन करता है​

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3. पुराण (Puranas)

पुराणों की संख्या 18 मुख्य पुराण और 18 उपपुराण मानी जाती है। यह ग्रंथ कहानियों, देवताओं की लीलाओं, राजाओं की कथाओं, और धार्मिक रीति-रिवाजों का वर्णन करते हैं:

  • 18 मुख्य पुराण: विष्णु पुराण, शिव पुराण, भागवत पुराण, ब्रह्म पुराण, स्कन्द पुराण आदि।
  • विषय-वस्तु: हर पुराण किसी विशेष देवता की महिमा पर केंद्रित है और सृष्टि की उत्पत्ति, राजवंशों की कहानियों, तीर्थों की महिमा, और कर्मकांडों का विस्तार से वर्णन करता है। भागवत पुराण में भगवान कृष्ण की लीलाओं का विशेष उल्लेख है, और शिव पुराण भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है​

 

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